23-08-2020
Laadle Thakur Laadli Shyama
दोऊ सदा एक रस पूरे।एक प्राण, मन एक, एक ही भाव, एक रंग रूरे।।एक साध्य, साधनहू एकहि, एक सिद्धि मन राखैं।एकहि परम पवित्र दिव्य रस, दुहू दुहुनि को चाखैं।।एक चाव चेतना एक ही, एक चाह अनुहारै।एक बने दो एक संग नित बिहरत एक बिहारै।।(पद- रत्नाकर 180)